हुत दिनों से मैं शोध् कार्य को पुस्तक दौरान एक-दो साहित्यकारों ने भी अपने शोध् कार्य को पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित करवाया तो मैंने भी अपने शोध् कार्य को प्रकाशित करने का मन बना लिया ताकि यह शोध् कार्य पुस्तकालयों में जाकर शोधर्थियों को लाभान्वित कर सवेंफ। इस शोध् कार्य का विषय था ‘‘सुभद्रा वुफमारी चौहान वेफ साहित्य में संवेदना वेफ विविध् आयाम।’’ मैंने शीर्षक बदलकर ‘‘सुभद्रा वुफमारी चौहान और राष्ट्रीय चेतना’’ रखा क्योंकि उन्होंने स्वतंत्राता आंदोलन में सव्रिफयता से भाग लिया, कई बार जेल गयी, प्रथम सत्याग्रही कहलाई और साहित्यकार वेफ नाते कालजयी वृफति ‘झाँसी की रानी’ वेफ माध्यम से राष्ट्रीय चेतना की अलख जगाई थी। आज भी ‘बुंदेले हरबोलों वेफ मुँ हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी।’
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | संवेदना - स्वरूप और विवेचना | 11 |
2 | जीवन वृत्त | 12 |
3 | सुभद्रा : बहुआयामी व्यक्तित्व | 51 |
4 | सुभद्रा एवं समकालीन लेखन में संवेदना | 45 |
5 | संवेदना में विविध् पक्ष | 45 |