एक सदी के आरंभ में पुस्तक लिखना अत्यंत हर्षदायी होने के साथ-साथ कठिन और तनाव भरा कार्य भी हो सकता है क्योंकि आप स्वयं को इतिहास की एक ऐसी घड़ी में पाते हैं जब प्राप्तियों तथा क्षतियों की समीक्षा करने के लिए पीछे मुड़कर देखने की आवश्यकता होती है तथा साथ ही चुनौतियों एवं अवसरों का अवलोकन करने के लिए भविष्य की ओर नजरें दौड़ानी होती है। इस पुस्तक को लिखना वस्तुतः एक अद्वितीय अनुभव रहा है क्योंकि 20वीं सदी के अंतिम चरण में व्यावसायिक दृष्टि से सब कुछ इतने सकारात्मक रूप में दृष्टिगोचर हुआ जिसे अभूतपूर्व माना जा सकता है। और. भविष्य अत्यंत उत्साहवर्धक दिखाई देता है!
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1. जन - संपर्क के सिद्धांत | 10 |
2 | 2. जन- संपर्क की परिभाषा | 8 |
3 | 3. जन- संपर्क और अन्य प्रबंधन कार्य | 8 |
4 | 4. भारत में मीडिया परिदृश्य | 7 |
5 | 5. जन-संपर्क प्रक्रिया | 9 |
6 | 6. संदेश, मध्यम और श्रोता का त्रिकोण | 21 |
7 | 7. जन-संपर्क- उपकरण और उपाए | 26 |
8 | 8. जन-संपर्क उपकरण के तौर पर ग्राफ़िक्स | 8 |
9 | 9. टाइप और मुद्रण कला | 15 |
10 | 10. डेस्कटॉप प्रकाशन | 4 |
11 | 11. मुद्रित साहित्य | 15 |
12 | 12. मीडिया संपर्क | 18 |
13 | 13. जन - संपर्क और संचार संकट | 14 |
14 | 14. अवधारणा प्रबंध | 6 |
15 | 15. जन- संपर्क एवं संस्थागत विज्ञापन | 8 |
16 | 16. जन-संपर्क-विधिया और परम्पराये | 11 |
17 | 17. जन- संपर्क - भावी एजेंडा | 7 |
18 | 18. शब्दावली | 7 |