लोक प्रशासन के क्षेत्र में होने वाले विकासों को समाहित करने के लिए इस पुस्तक के प्रकाशन के बाद इसमें अनेक परिवर्तन और संशोधन हुए हैं। महाविद्यालय के विद्यार्थियों, शिक्षकों तथा सिविल सेवाओं के अभ्यर्थियों के साथ-साथ लोक प्रशासन के व्यवहारकर्ताओं के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी है। भारत के विभिन्न भागों में विश्वविद्यालीय पाठ्यक्रम के साथ-साथ सिविल सेवाओं प्रवेश परीक्षा के पाठ्य विषय भी समय-समय पर संशोधित होते रहते हैं। -सं-ज्यादा जहाँ तक संभव हो सका है मैंने अपनी पुस्तक में उन सभी परिवर्तनों को समाहित करने का प्रयास किया है जिसमें कि यह पाठकों के लिए ज्यादा-२ उपयोगी बन सके।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1. लोक प्रशासन : प्रकृति और क्षेत्र | 43 |
2 | 2. लोक प्रशासन के बदलते संदर्भ : वर्तमान चिन्ताएँ | 34 |
3 | 3. उपागम एवं अन्य विषयों के साथ संबंध | 22 |
4 | 4. समाजों में महत्त्व और चुनौतियाँ | 23 |
5 | 5. प्रशासन, राजनीति और समाज | 30 |
6 | 6. संगठन के सिद्धांत | 32 |
7 | 7. प्रशासनिक व्यवहार | 38 |
8 | 8. संगठन के सिद्धांत | 45 |
9 | 9. संगठनों की सरचना | 37 |
10 | 10. कार्मिक प्रशासन-I | 61 |
11 | 11. कार्मिक प्रशासन-IIकुछ मुद्दे | 23 |
12 | 12. वित्तीय प्रशासन | 28 |
13 | 13. प्रशासनिक कानून, विनियम एवं सुधार | 28 |
14 | 14. विकास प्रशासन | 23 |
15 | 15. तुलनात्मक लोक प्रशासन-I | 23 |
16 | 16. तुलनात्मक लोक प्रशासन-II | 28 |
17 | 17. लोक नीति | 38 |
18 | 18. प्रशासन और लोग | 38 |