"पिछले पन्द्रह वर्षों के अध्ययन अध्यापन के दौरान सदैव ही यह अनुभव होता रहा कि समाजशास्त्र के पुरोधा विचारकों के ऊपर हिन्दी माध्यम में कोई भी सटीक पुस्तक उपलब्ध नहीं है जो परिवर्तित परिस्थिति में इनके अध्ययन की प्रासंगिकता बताता हो, प्रतियोगी छात्रों की अपेक्षा को पूरा करता हो, सिद्धांतों की दुरूहता को सरलता से प्रकट करता हो, परिप्रेक्ष्य समाजशास्त्रीय हो तथा विश्लेषणात्मक शैली में लिखी गयी हो। अनेक अध्यापक मित्रों तथा जिज्ञासु छात्रों के बार-बार प्रेरित और प्रोत्साहित करने के पश्चात् इस कठिन कार्य को आरंभ किया गया। अंग्रेजी मूल प्रति की अनुपलब्धता आदि के कारण यह पुस्तक चार वर्षों के प्रयास के पश्चात् पूरा हुआ।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1. कार्ल मार्क्स | 76 |
2 | 2. एमिल दुर्खीम | 110 |
3 | 3. मैक्स वेबर का बौद्धिक व्यक्तित्व | 64 |
4 | 4. टालकट पारसन्स | 46 |
5 | 5. राबर्ट. के. मर्टन | 46 |