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तृन धरि ओट
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तृन धरि ओट

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Author(s): ( अनामिका )

Publisher: ( ZIG ZAG Books )

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  • Books Details

    तृन धरि ओट

    (अनामिका का यह उपन्यास सीता के व्यक्तित्व के गहनतम पक्षों का उद्घाटन एक ऐसी भाषा में करता है जिसमें शताब्दियों की अन्तर्ध्वनियाँ हैं। यह इतनी व्यंजक, सरस और ठाठदार है जितनी भामती, भारती, लखिमा देवी की परम्परा की मैथिल स्त्री की भाषा होनी ही चाहिए! सीता तर्क करती हैं पर मधुरिमा खोए बिना, "सिया मुस्काये बोलत मृदु बानी" वाली लोकछवि धूमिल किये बिना, एक क्षण को भी सन्तुलन खोए बिना वे सबसे राय-विचार करती हैं-माँ-बाबा से, बहनों से, बालसखाओं से, सब महाविद्याओं से, वनदेवियों, आदिवासी स्त्रियों से, वाल्मीकि से, राम से, लक्ष्मण से, लव-कुश से, केवट-वधू से, अग्नि से, शम्बूक बाबा और शूर्पणखा से, स्वयं से और वैद्यराज के अनुगत रूप में रुद्रवीणा सीखने आये रावण से भी। वे एक सहज प्रसन्न सीता हैं जिन्होंने एकल अभिभावक के सब दायित्व हँसमुख ढंग से निभाये हैं। वाल्मीकि के आश्रम में आये ऋषि-मुनियों से, आश्रम के एक-एक पेड़-पौधे, जीव-जन्तु से उनका सहज संवाद का नाता है।

    ( अनामिका )

    Category: General
    ISBN: xxx-xxxx-xxx-xx-x
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 खण्ड-1: गुप्त पत्राचरार 31
    2 खण्ड-II: सीतरायण : कुछ क्षण- चचत् (सीता की पाण्डुलिलपद्ध) 116
    3 खण्ड-III: उत्तररायण 116
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