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देव-वंदित भारतवर्ष के अंतिम दक्षिण प्रांत केरल प्रदेश मे .... Read More
देव-वंदित भारतवर्ष के अंतिम दक्षिण प्रांत केरल प्रदेश में स्थित कालाडी ग्राम की पावन व धन्य भूमि पर आविर्भूत मां विशिष्टा देवी एवं पिता शिवगुरु की सुदृढ़ साधना और अखण्ड तपस्या के साक्षात् फल रूप शंकर का भास्वर जीवन सार्वभौमिक सतातन वैदिक धर्म का दिग्दर्शनकारी प्रकाशस्तम्भ हैआचार्य शंकर का अभ्युदय ऐसे समय पर हुआ जबकि विकृत बौद्ध धर्म के दबाव से एवं इस्लाम के सबल व सस्पर्द्ध अभियान तथा अनुप्रवेश से सनातन हिंदू धर्म बलहीन, विध्वस्त और विच्छिन्न हो गया था। परंतु आचार्य शंकर की अलौकिक प्रतिभा, साधना, तत्त्वज्ञान, चरित्रबल, शिक्षा तथा लोककल्याण-भावना ने हिंदू धर्म के भीतर अपूर्व शक्ति का संक्रमण कर वैदिक धर्म को अनंत युगों का स्थायित्व प्रदान कर सुदृढ़ भित्ति के ऊपर सुप्रतिष्ठित किया । इसके लिए दूरदर्शी प्राज्ञ आचार्य ने भारत के चार प्रांतों में चार धर्मदुर्ग-पूर्व में गोवर्धन मठ, पश्चिम में शारदा मठ, उत्तर में ज्योतिर्मठ और दक्षिण में श्रृंगेरी मठ स्थापित कियेये वेदस्वरूप चारों मठ कुशल प्रहरी की भांति भारत की चारों सीमाओं की रक्षा करते हुए आज भी हिंदू धर्म की विजय वैजयंती फहरा रहे हैं
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | आदि गुरु शंकराचार्य | 4 |