0 Ratings
0 Reviews
157 Views
.... Read More
सातवें खण्ड के रूप में प्रस्तुत हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास (1935) वस्तुतः पटना विश्वविद्यालय में रामदीन सिंह रीडरशिप के लिए दिये गये हरिऔध जी के भाषणों का संग्रह है। यह पुस्तक हरिऔध जी के भाषा और साहित्य के इतिहास सम्बन्धी विचारों के साथ-साथ उनकी व्यावहारिक आलोचना का भी रूप सामने लाती है। इस पुस्तक में सामाजिक और सामुदायिक सन्दर्भों के साथ भाषा के विकास को देखने का प्रस्ताव विशेष महत्त्वपूर्ण है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | हिन्दी भाषा और साहित्य का विकास | 3 |