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19वीं शताब्दी के अंतिम वर्षों में जब इलेक्ट्रॉनिकी नामक विधा का जन्म हुआ तब समस्त विश्व में जैसे किसी क्रान्ति का जन्म हो गया। इस विधा के भांति-भांति के उपयोगों की चर्चा की जाने लगी और इस विषय में अनेक संगोष्ठियां आयोजित हुई। युद्ध सदा से ही एक आवश्यक मजबूरी रहा है। इतिहास साक्षी है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का युद्ध के साथ सदैव एक विशिष्ट संबंध रहा है। यह एक विडंबना है कि सभ्यता, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के विकास में युद्ध एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक रहा है। आदिकाल से युद्ध ने अनेक ऐसे आविष्कारों एवं प्रौद्योगिकी को जन्म देने में सहायक भूमिका निभाई है जो सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण रहे हैं। प्रथम विश्व युद्ध (1914-18) के समय तक रेडियो का आविष्कार हो चुका था जो इलेक्ट्रॉनिकी तकनीक पर आधारित था। इस युद्ध में मित्र एवं शत्रु राष्ट्रों, दोनों ने ही खुलकर रेडियो का उपयोग किया। विद्युत चुंबकीय वर्णक्रम युद्ध में एवं युद्ध से सुरक्षा में एक निर्णयात्मक भूमिका निभाने लगा। सामरिक सुरक्षा कार्यों में इसे एक बल-गुणक के रूप में माना जाने लगा।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | रक्षा इलेक्ट्रॉनिकी | 11 |
2 | सामरिक सुरक्षा में दूरसंचार एवं राडार का महत्व | 27 |
3 | मिसाइल सुरक्षा प्रणाली | 18 |
4 | कृत्रिम उपग्रह द्वारा सामरिक सुरक्षा | 13 |
5 | पायलट रहित विमान | 8 |
6 | सायबर सुरक्षा | 15 |
7 | उपसंहार | 15 |