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न्यूट्रिनो की दुनिया सूर्य से ऊर्जा उत्पत्ति के संबंध में बैथे द्वारा प्रस्तावित की सचाई जानने को वैज्ञानिकगण बेचैन थे। मगर तत्कालीन समय में उन्हें अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिये फोटॉन के अध्ययन के अलावा और कोई विकल्प सुझाई नहीं दे रहा था। लेकिन फोटॉन पदार्थ के साथ अत्यंत सशक्त अंतःक्रिया ;ेजतवदह पदजमतंबजपवद) करता है, जिससे यह अंदर ही अंदर असंख्य बार अवशोषित, उत्सर्जित, प्रकिर्णित आदि होता रहता है। एक अनुमान के अनुसार सूर्य के केंद्र से इसे बाहर आने में करीब 40 हजार साल लग जाते हैं। वैज्ञानिकों को लगा कि इतने साल बाद मिले संकेत से सूर्य के केंद्र में चल रही प्रक्रिया के संबंध में सूचना ग्रहण करना लगभग नामुमकिन है। इसतरह उनके मत में प्रकाश रूपी संकेतों से एक हद तक ही ब्रह्माण्ड विषयक जानकारियाँ मिल सकती हैं। और अधिक जानकारियों को पाने के लिये उन्हें फोटॉन के अलावा किसी अन्य संकेत
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | पृष्ठभूमि : प्रकृति के संकेत | 7 |
2 | क्या है न्यूट्रिनो | 3 |
3 | न्यूट्रिनो की खामोश दस्तक | 9 |
4 | सोलर न्यि टन्रामाडॅ | 7 |
5 | न्यि ट्रनाके सा्रेत | 7 |
6 | न्यूट्रिनो को पकड़ने के लिये बनी योजनाएं | 5 |
7 | न्यूट्रिनो ने दी अपनी झलक | 7 |
8 | मिले न्यूट्रिनो के फ्लेवर | 8 |
9 | स्टैण्डर्ड मॉडल और इलेक्ट्रोवीक सिद्धांत | 12 |
10 | फडांमेटं ल पाटिर्क ल की दुनिया मे हाने वाली प्रि क्रयाएं | 12 |