शीर्षक ‘‘वैशाली की नगरवधू’’ का अनुवाद ‘‘वैशाली की वैश्या’’ है। प्राचीन भारत पर आधारित यह उपन्यास वैशाली की प्रसिद्ध वैश्या अंबपाली के जीवन पर प्रकाश डालता है। यह उनकी यात्रा, उनके रिश्तों और उनके समय के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य में उनकी भूमिका का पता लगाता है। अंबपाली की कहानी के माध्यम से, उपन्यास प्रेम, शक्ति, नैतिकता और व्यक्तिगत इच्छाओं और सामाजिक अपेक्षाओं के बीच संघर्ष के विषयों को छूता है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | धिक्कृत कानून | 6 |
2 | गण-सत्रिपात | 4 |
3 | नीलपझ प्रासाद | 5 |
4 | मंगलपुष्करिणी अभिषेक | 3 |
5 | पहला अतिथि | 2 |
6 | उरुबेला तीर्थ | 2 |
7 | शाक्यपुत्र गौतम | 4 |
8 | कुलपुत्र यश | 3 |
9 | धर्म चक्र-प्रवर्तन | 3 |
10 | वैशाली का स्वर्ग | 4 |
11 | राजगृह | 2 |
12 | रहस्यमयी भेंट | 6 |
13 | बन्दी की मुक्ति | 3 |
14 | राजगृह का वैज्ञानिक | 4 |
15 | मगध महामात्य आर्य वर्षकार | 4 |
16 | आर्या मातंगी | 7 |
17 | महामिलन | 7 |
18 | ज्ञातिपुत्र सिंह | 10 |
19 | मल्ल दम्पती | 6 |
20 | साकेत | 3 |
21 | कोसलेश प्रसेनजित | 4 |
22 | माण्डव्य उपरिचर | 2 |
23 | जीवक कौमारभृतय | 5 |
24 | नियुक्त | 3 |
25 | नियुक्त का शुल्क | 3 |
26 | चम्पारण्य में | 4 |
27 | शम्बर असुर की नगरी में | 5 |
28 | कुण्डनी का अभियान | 3 |
29 | असुर भोज | 4 |
30 | मृत्यु-चुम्बन | 4 |
31 | चम्पा में | 3 |
32 | शत्रुपुरी में मित्र | 2 |
33 | असम साहस | 3 |
34 | शंब असुर का साहस | 3 |
35 | गुप्त पत्र | 2 |
36 | आक्रमण | 3 |
37 | आक्रमण | 2 |
38 | मृतयुपाश | 2 |
39 | पलायन | 2 |
40 | चम्पा का पतन | 1 |
41 | वादरायण व्यास | 3 |
42 | सम्मान्य अतिथि | 4 |
43 | गर्भ-गृह में | 4 |
44 | भारी सौदा | 4 |
45 | भविष्य-कथन | 2 |
46 | साम्राज्य | 3 |
47 | दास नहीं, अभिभावक | 3 |
48 | सोम की भाव-धारा | 3 |
49 | मार्ग-बाधा | 3 |