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राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी .... Read More
राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में न्यूनतम एकीकृत पाठ्यक्रम अनिवार्य किया गया है। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश में २०२१-२२ सत्र से त्रिवर्षीय स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों में नई शिक्षा नीति लागू कर दी गई है। इसके लिए शासन ने प्रदेश के सभी राज्य एवं निजी विश्वविद्यालयों में संचालित तीन विषय वाले, त्रि-वर्षीय पाठयक्रमों में नए सत्र से ही नई शिक्षा नीति लागू करने का आदेश दिया है। इस हेतु मानक पाठयक्रमों का निर्माण भी किया गया है। नए सत्र से विश्वविद्यालयों में न्यूनतम समान पाठयक्रम के अंतर्गत ७० प्रतिशत पाठयक्रम समान होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति २०२० के अनुसार उत्तर प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों को ध्यान में रखकर एक मॉडल पाठयचर्या तैयार की गयी है। अन्य विषयों के साथ-साथ हिंदी के लिए भी यही नियम लागू किया गया है। इसी उद्देश्य की पूति हेतु प्रस्तुत पुस्तक ‘हिन्दी काव्य’ स्नातक स्तर पर हिंदी विषय के प्रथम सत्र के सम्पूर्ण पाठयक्रम को लेकर तैयार की गयी है। स्नातक हिंदी, प्रथम सत्र में ‘हिंदी काव्य’ प्रश्नपत्र के अंतर्गत भारतीय ज्ञान परम्परा में हिंदी साहित्य के विभिन्न कालों के प्रतिनिधि कवियों की कविताओं को पाठयक्रम में समाहित किया गया है तथा हिंदी साहित्य के इतिहास की जानकारी देकर हिंदी कविता के विकास क्रम से भी विद्यार्थियों को अवगत कराया गया है। भारतीय ज्ञान परंपरा के अंतर्गत आदि कालीन एवं मध्य कालीन हिंदी काव्य का इतिहास तथा इतिहास लेखन की परंपरा एवं विकास से लेकर आधुनिक कालीन काव्य का इतिहास, आदि कालीन कवि, भक्ति कालीन सगुण एवं निर्गुण कवि, रीति कालीन कवि, आधुनिक कालीन कवि और छायावादोत्तर कवियों से लेकर हिंदी साहित्य के शोध तक को समाहित किया गया है। यह पाठयक्रम बहुत बड़े काल खंड को समेटे हुए है। आदिकाल से छायावादोत्तर काल के विभिन्न काव्यान्दोलनों तक इसका विस्तार है। इसके साथ-साथ एक ओर कविता का इतिहास है तो दूसरी ओर हिंदी साहित्य में शोध की भी जानकारी दी गई है। इसलिए इसका अध्ययन किन्हीं एक दो पुस्तकों से संभव नहीं। कई पुस्तकें ऐसी भी हैं जो वर्तमान में आसानी से उपलब्ध भी नहीं हैं किन्तु उनके कुछ अंश पाठयक्रम का अंग हैं। विद्यार्थियों की इन्हीं असुविधाओं को ध्यान में रखकर इस पुस्तक का निर्माण किया गया है। पुस्तक में प्रदत्त पद्यांश मूल स्रोतों से लिए गए हैं जिससे कि त्रुटियों की संभावना कम से कम हो। इस पुस्तक में सम्पूर्ण पाठयक्रम को बिंदुवार व व्यवस्थित ढंग से समायोजित किया गया है तथा व्यापक शोध कर आवश्यक पाठ्य सामग्री को संकलित किया गया है। जिससे विद्यार्थियों को पाठ्यसामग्री के संकलन व संचयन में कठिनाई न हो और एकाग्रचित होकर अध्ययन कर सकें। हमें विश्वास है कि ‘हिंदी काव्य’ नामक यह पुस्तक उत्तर प्रदेश में अध्ययनरत स्नातक हिंदी के सभी प्राक्कथन विद्यार्थियों के लिए समान रूप से उपयोगी सिद्ध होगी। इस पुस्तक को पढ़कर वे सम्बन्धित विषय का गहन ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे और परीक्षा में उत्कृष्ट अंक तथा श्रेणी प्राप्त कर सकेंगे। किसी पुस्तक का लेखन एकांगी प्रक्रिया नहीं है। इस प्रक्रिया में प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से अनेक विद्वत जन सहयोगी रहे होंगे। इसलिए प्रस्तुत पुस्तक के
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | आदिकालीन एवं मध्यकालीन हिन्दी काव्य | 41 |
2 | आधुनिककालीन काव्य का इतिहास | 29 |
3 | आदिकालीन कवि | 16 |
4 | सूरदास (भ्रमरगीत सार-संपा० आचार्य रामचन्द्र शुक्ल) | 24 |
5 | भक्तिकालीन निर्गुण कवि | 13 |
6 | रीतिकालीन कवि | 12 |
7 | आधुनिककालीन कवि | 36 |
8 | छायावादोत्तर कवि और हिन्दी साहित्य में शोध | 36 |