0 Ratings
0 Reviews
216 Views
ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। सुबह उठने से लेकर खाने .... Read More
ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। सुबह उठने से लेकर खाने पीने, दफ्तर जाने और रात में सोने से पहले होने वाले तमाम कार्यों के लिए हमें ऊर्जा की आवश्यकता होती है। हम सब ‘ऊर्जा‘ शब्द से भली-भाँति परिचित हैं। उदाहरण के लिए हमें अपने वाहन चलाने के लिए पेट्रोल से ऊर्जा मिलती है, जिसे हम पैसे से खरीदते हैं, घरों तथा दफ्तरों में बिजली के तमाम उपकरणों का प्रयोग विद्युत ऊर्जा के द्वारा होता है, जिसका हम बिल अदा करते हैं, खाना पकाने के लिये गैस सिलेंडर खरीदते हैं, क्योंकि गैस से हमें तापीय ऊर्जा मिलती है। इस तरह ऊर्जा के द्वारा ही हम कोई कार्य कर सकते हैं। अर्थात् जिसमें ऊर्जा है वही कार्य कर सकता है। यदि हम ऊर्जा को परिभाषित करना चाहें तो कहा जा सकता है कि किसी व्यक्ति के कार्य करने की संपूर्ण योग्यता ही ऊर्जा है। कोई व्यक्ति किसी एक अवस्था में जितना कार्य कर सकता है, वह उस अवस्था में उस व्यक्ति की ऊर्जा कहलाती है। ऊर्जा कार्य करने की कुल योग्यता बताती है जबकि शक्ति उस कार्य के करने की दर से संबंधित है। अर्थात् शक्ति से हम यह समझते हैं कि कोई कार्य किस दर से किया जा सकता है। प्रकृति में भी ऊर्जा का चक्र निरंतर चलता रहता है और इसी के आधार पर समस्त प्राणी जीवन धारण और जीवन यापन करते हैं। सभी जीवधारियों के शरीर में विभिन्न क्रियायें होती रहती हैं जिन्हें अच्छी तरह
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | ऊर्जा क्या है? | 6 |
2 | ऊर्जा के प्राकृतिक स्त्रोत | 8 |
3 | वैकल्पिक ऊर्जा की आवष्यकता | 5 |
4 | सौर ऊर्जा | 18 |
5 | पवन ऊर्जा | 18 |