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जैव-विविधता संरक्षण
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जैव-विविधता संरक्षण

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Author(s): ( मनीष मोहन गोरे )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही ऐसा ज्ञात ग्रह है जहाँ जीवन औ .... Read More

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    जैव-विविधता संरक्षण

    हमारे सौर मंडल में पृथ्वी ही ऐसा ज्ञात ग्रह है जहाँ जीवन और जैव-विविधता विद्यमान है। जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, जीवाणु आदि रंग-बिरंगे मगर अनोखे स्वरुपों में हमारी पृथ्वी जीवन के स्पंदन को संजोये हुए है। करोड़ों साल पहले जब पृथ्वी पर जीवन मौजूद नहीं था तब यहांँ धरती वीरान और वायुमण्डल विषाक्त गैसों से भरा हुआ था। प्रारंभिक जीव कब और कहाँ पनपा इस बारे में एकदम प्रामाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। लेकिन इस बात के प्रमाण मिले हैं कि 3-5 अरब वर्ष पहले जीवाणु जैसे जीव उत्पन्न हुए थे। पृथ्वी पर जीवन के प्रारंभिक स्वरुपों के संबंध में जो कुछ भी जानकारी मिल पायी है वह जीवाश्मों के अध्ययन का परिणाम है। जीवाश्म लाखों-करोड़ों साल पहले चट्टानों के नीचे दबे जीवों के अवशेष या छाप होते हैं जो उस समय के जीवों की शारीरिक संरचना और संभावित पर्यावरण का संकेत देते हैं। वैज्ञानिकों के अध्ययन के परिणामस्वरुप यह पाया गया है कि आदि पृथ्वी पर प्रथम जीवित कोशिका की उत्पत्ति आदि महासागर में विद्युत उत्सर्जन के कारण हुई थी। 1953 में स्टेनले एल. मिलर और हार्लोड सी. यूरी ने संयुक्त रुप से मिथेन, अमोनिया, हाइड्रोजन गैसों और जल को लेकर आदि पृथ्वी के समान वातावरण सृजित किया और अपने प्रयोग में विद्युत आवेश उत्पन्न करके पाया कि उपर्युक्त सभी पदार्थ कार्बनिक यौगिकों में बदल गये। वैज्ञानिक द्वय ने अपने प्रयोग के द्वारा यह प्रतिपादित किया कि आदि पृथ्वी पर जीवन की

    ( मनीष मोहन गोरे )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: 978-93-94553-14-9
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 पृथ्वी ग्रह और जीवन 5
    2 जैव-विविधता : पृथ्वी पर जीवन का आधार 12
    3 जैव-विविधता केसमक्ष चुनाै तयां 2
    4 भारत के राष्ट्रीय उद्यान और बायोस्फीअर रिज़र्व 9
    5 जीव संरक्षण के प्रयास 6
    6 विलापे न आरै दलु र्भ जीव जातियां 6
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