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वस्तुतः संसाधन एक ऐसी प्राकृतिक एवं मानवीय संपदा है, जिसका उपयोग हम अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति में करते हैं। दूसरे शब्दों में मानव जीवन जिन आधारभूत साधनों पर आधारित है और जिनसे उसकी भौतिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है, वे सभी ‘‘संसाधन‘‘ कहलाते हैं। जो संसाधन हमें प्रकृति से विरासत में मिले हैं, उन्हें प्राकृतिक संसाधन कहते हैं। मुख्य प्राकृतिक संसाधनों में सौर ऊर्जा, वायु, जल, भूमि, वनस्पति, जीवाश्म ईंधन, खनिज, जंतु व सूक्ष्म जीव आदि सम्मिलित हैं। संसाधन शब्द अंग्रेजी भाषा के शब्द का पर्याय है जो दो शब्दों - तथासे मिलकर बना है, जिनका आशय क्रमशः दीर्घ अवधि या पुनः तथासाधन या उपाय है। अर्थात् प्रकृति में उपलब्ध वे साधन जिन पर कोई जैविक समुदाय दीर्घ अवधि तक निर्भर रह सके तथा जिनमें पुनः पूर्ति या पुनर्निर्माण की क्षमता हो संसाधन कहलाते हैं। संसाधन दृष्टिगत तथा अदृश्य दोनों रूपों में पाये जाते हैं। दृश्यमान संसाधनों में जल, भूमि, खनिज, वनस्पति आदि प्रमुख हैं। मानव जीवन, उसका स्वास्थ्य, इच्छा, ज्ञान, सामाजिक सामंजस्य, आर्थिक उन्नति आदि महत्वपूर्ण अदृश्य संसाधन हैं।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | जल के परिप्रेक्ष्य मे ससांधन की अवधारणा | 22 |
2 | विष्व में जल का गहराता संकट | 11 |
3 | जल प्रदूषण का कहर | 28 |
4 | जल प्रदूषण का नियंत्रण | 6 |
5 | जल सरं क्षण | 33 |
6 | घरेलू स्तर पर जल सरं क्षण | 23 |
7 | उद्योगों के लिए जल का उपयोग एवं संरक्षण | 8 |
8 | कृषि क्षेत्र मे जल सरं क्षण | 20 |
9 | कैसा हो जल प्रबंधन | 9 |
10 | वर्षा जल संचयन | 9 |