आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित पुरी मठ के 143वें शंकराचार्य स्वामी भारती कृष्ण तीर्थ जी महाराज द्वारा सृजित वैदिक गणित, वेद एवं वैदिक ग्रंथ की बहुआयामी ऋचाओं के आयाम हैं जिसके 16 सूत्रों एवं 13 उपसूत्रों का प्रयोग गणितीय गणना को सरल बना कर सभी शाखाओं में किया जाता है। इन सूत्रों एवं उपसूत्रों के द्वारा संकलन, व्यवकलन, गुणन, भागफल एवं घातांक पद इत्यादि को भी अत्यंत सरल विधि द्वारा हल किया जा सकता है। वैदिक गणित का प्रयोग करके प्राप्त गणितीय गणना, बहुविकल्पीय होने के कारण मौखिक, सरल, रोचक एवं मनोरंजक हो जाती है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | Unit-1, 1. वैदिक गणित का परिचय | 6 |
2 | 2. परम मित्र अंक | 1 |
3 | 3. संकलन तथा व्यवकलन | 5 |
4 | Unit-2 Multiplication, 4. गुणन | 3 |
5 | 5. ऊर्ध्वतिर्यग्भ्याम् विधि से गुणा | 4 |
6 | 6. एकन्यूनेन पूर्वेण विधि से गुणा | 3 |
7 | 7. निखिलम् | 8 |
8 | Unit-3. 8. द्वंद योग | 2 |
9 | 9. वर्ग व वर्गमूल | 10 |
10 | 10. घन एवं घनमूल | 7 |
11 | Unit-4 (Division ),11. विचलन विधि | 2 |
12 | 12. परावर्त्य विधि | 3 |
13 | 13. ध्वजांक विधि | 5 |
14 | Unit -5, 14. संयुक्त संक्रिया | 5 |
15 | 15. लघुत्तम समापवर्त्य व महत्तम समापवर्तक | 2 |
16 | 16. विभाज्यता के नियम | 9 |
17 | Unit-6, 17. धनऋणांक संख्या | 5 |
18 | 18. विनकुलम संख्या | 3 |
19 | 19. मूलांक | 2 |
20 | Unit-7, 20. भारतीय गणितज्ञ | 2 |