प्रस्तुत पुस्तक में भारतीय चित्रकला का संक्षिप्त परन्तु प्रामणिक व मौलिक इतिहास दर्शाया है। प्रायः यह कहा जाता है कि कला से ही कल्याण होगा। भारतीय लोक चित्रों के द्वारा भी पिछली पिढ़ियों ने हमारे इतिहास को संजो कर रखा है। भारतीय लोक चित्र हमें प्रकृति और धर्म के नजदीक से दर्शन कराने में सफल होते है। पहले आज की तरह विभिन्न तरह के रासायनिक रंगों की भरमार नहीं थी। अपितु चित्रकार स्वयं अपने हाथों से प्राकृतिक रंग तैयार करते व चित्र पर अपने मन के भावों व आसपास के वातावरण का चित्रण करते थे।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1- भारतीय लोक चित्र | 1 |
2 | 2- फाड़ चित्रकला | 1 |
3 | 3- वर्ली चित्रकला | 1 |
4 | 4- मधुबनी चित्रकला | 2 |
5 | 5- पटचित्र चित्रकला | 1 |
6 | 6- पिछवाइ चित्रकला | 2 |
7 | 7- कालीघाट चित्रकला | 2 |
8 | 8- गोंड चित्रकला | 2 |
9 | 9- कलमकारी चित्रकला | 1 |
10 | 10- संथाल चित्रकला | 2 |
11 | 11- तंजोर चित्रकला | 1 |
12 | 12- बाटिक चित्रकला | 2 |
13 | 13- लद्यु चित्रकला | 2 |