दो शताब्दी पूर्व पश्चिम से कुछ अंग्रेज, व्यापारियों के रूप में, भारत पाए और मोरे-धीरे उन्होंने तराजू छोड़कर तलवार धाम सी उस तलवार ने हजारों-लाखों भारतवासियों का खून पीया और वे व्यापारी यतिथि इस देश के मालिक बन बैठे। हमारे देश के धर्म और संस्कृति पर उन्होंने बार किया। देश की तमाम पूंजी लूट ली और जनता को कंगाल बना दिया । राजनीतिक जोड़-तोड़ से देश के टुकड़े-टुकड़े कर डाले और जिस किसी ने भी इन सब अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई, उस पर कोडे बरसाए गए फांसी पर लटका दिया गया या फिर जीवन भर तिल-तिल बनने के लिए कालेपानी की गन्दी जेलों में डाल दिया गया।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | 1. जन्म और शैशव | 4 |
2 | 2. शिक्षा | 10 |
3 | 3. लाहौर से कानपुर | 6 |
4 | 4. दशहरा बम काण्ड | 4 |
5 | 5. साइमन वापस जाओ | 4 |
6 | 6. लाहौर से कलकत्ता | 3 |
7 | 7. असेम्बलो में बम का धमाका | 4 |
8 | 8. अदालत में | 6 |
9 | 9. भूख हड़ताल | 4 |
10 | 10. स्पेशल मजिस्ट्रेट की अदालत में | 5 |
11 | 11. न्याय का नाटक | 4 |
12 | 12. काल कोठरी या अध्ययन कक्ष | 3 |
13 | 13. एक सन्देश एक वसीयत | 3 |
14 | 14. अन्तिम मुलाकात और उसके बाद | 5 |
15 | 15. फांसी के तख्ते पर | 5 |