कर्मभूमि' - प्रेमचंद जी द्वारा रचित एक राजनीतिक उपन्यास है प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास में कुछ परिवारों के माध्यम से देश की राजनीतिक समस्याओं को प्रस्तुत किया है। प्रेमचंद जी ने अपने इस उपन्यास में भारत की सभी उन दिनों की सभी राजनीतिक समस्याएं का जिक्र करते हुए उनके भयावह दुर्दशा को भी व्यक्त किया है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | पहला भाग एक – 1 | 3 |
2 | 2 | 2 |
3 | 3 | 5 |
4 | 4 | 4 |
5 | 5 | 4 |
6 | 6 | 3 |
7 | 7 | 6 |
8 | 8 | 7 |
9 | 9 | 5 |
10 | 10 | 4 |
11 | 11 | 6 |
12 | 12 | 7 |
13 | 13 | 7 |
14 | 14 | 8 |
15 | 15 | 4 |
16 | 16 | 8 |
17 | 17 | 11 |
18 | दूसरा भाग 1 | 7 |
19 | 2 | 3 |
20 | 3 | 4 |
21 | 4 | 3 |
22 | 5 | 8 |
23 | 6 | 9 |
24 | तीसरा भाग 1 | 3 |
25 | 2 | 3 |
26 | 3 | 3 |
27 | 4 | 4 |
28 | 5 | 4 |
29 | 6 | 6 |
30 | 7 | 7 |
31 | 8 | 5 |
32 | 9 | 3 |
33 | 10 | 5 |
34 | 11 | 4 |
35 | 12 | 12 |
36 | चौथा भाग 1 | 4 |
37 | 2- | 3 |
38 | 3 | 3 |
39 | 4 | 3 |
40 | 5 | 9 |
41 | 6 | 4 |
42 | 7 | 3 |
43 | 8 | 2 |
44 | पांचवा भाग 1 | 4 |
45 | 2 | 4 |
46 | 3 | 6 |
47 | 4 | 3 |
48 | 5 | 2 |
49 | 6 | 2 |