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गुरु गोविंदसिंहजी का जीवनचरित्र इसके पूर्व भी हिंदी में .... Read More
गुरु गोविंदसिंहजी का जीवनचरित्र इसके पूर्व भी हिंदी में यत्र-तत्र छपा है, पर अब तक वैज्ञानिक और ऐति- हासिक दृष्टि से उनकी जीवनी की छान-त्रीन नहीं की गई है। किसी महापुरुष की जीवनी के प्रकट करने से तात्पर्य यही होता है कि लोग उनके उत्पन्न होने के कारणसमूह को जानें, उनके कार्यकलाप को वर्त्तमान समय के संसार की गति से मिलान कर देखें कि उनकी की हुई किस बात पर इस समय हमें चलने की आवश्यकता है, कौन सी कमी हममें है जो उनके आदर्श से पूर्ण हो सकती है, उस ऐतिहासिक समय और आज के समय में क्या अंतर है, और इस समय की कौन सी बड़ी भारी कमी है जिसको पूरा करने के लिये उनके आदर्श की, शिक्षा की आवश्यकता है।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | पहला अध्याय – प्रस्तावना | 9 |
2 | दूसरा अध्याय- विवाह बधाई | 8 |
3 | तीसरा अध्याय - धर्मवलि और गुरु गोविंदसिंह की प्रतिज्ञा | 7 |
4 | चौथा अध्याय - ' - धर्मयुद्ध की तैयारी | 13 |
5 | पाचवाँ अध्याय - गुरु गोविंदसिंह का विद्या प्रचार | 10 |
6 | छठा अध्याय - गुरु साहब का दुर्गा से वर प्राप्त करना | 9 |
7 | सातवाँ अध्याय - गुरु गोविंदसिंह का शिष्यों की परीक्षा लेना और मंत्रोपदेश करना | 18 |
8 | आठवाँ अध्याय - विलासपुर के राजा का गुरु साहब से द्वेष करना और उनके विरुद्ध दूसरे पहाड़ी राजाओं को भड़काना तथा गुरु साहव की लड़ाइयाँ | 56 |
9 | नवाँ अध्याय - दो कुमारों की अद्भुत धर्म्मबलि | 12 |
10 | दसवाँ अध्याय- गुरु गोविंदसिंह के दिन फिरे | 17 |
11 | ग्यारहवाँ अध्याय - गुरु गोविंदसिंह के शिष्य भाई बंदा का सूवा सरहिंद से बदला लेना | 14 |
12 | बारहवाँ अध्याय - गुरु साहब का स्वर्गारोहण | 6 |
13 | तेरहवाँ अध्याय - गुरु गोविंदसिंह के जीवन की एक झलक | 6 |