हम जब जीवनमें किसीके सम्पर्कमें आते हैं और यह सम्बन्ध निकटताका बन जाता है अथवा कुछ काल बना रहता है तो कुछ घटनाएँ यदा-कदा ऐसी भी हो जाती हैं कि वे हमारे चित्तपर एक छाप छोड़ देती हैं। उनकी स्मृति बनी रहती है । यह प्रभाव अच्छा-बुरा दोनों हो सकता है, किन्तु सत्पुरुषोंके सम्पर्कमें आनेपर जो प्रभाव पड़ता है वह तो सदा मंगलमय ही होता है।
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1 | 1. प्रेरक प्रसंग-सेठजी श्रीजयदयालजी गोयन्दका | 17 |
2 | 2. प्रेरक प्रसंग - भाईजी श्रीहनुमानप्रसादजी पोद्दार | 17 |