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"दूसरे खण्ड में हरिऔध जी की दो कृतियाँ पारिजात (1940) और पद्य प्रमोद (1920) दी जा रही हैं। पारिजात को भी हरिऔध जी ने महाकाव्य के रूप में प्रस्तुत किया है। पारिजात में मुख्यतः भारतीय संस्कृति का बखान किया है। हरिऔध जी ने राजा राममोहन राय से लेकर महात्मा गाँधी तक आधुनिक भारत के दस निर्माताओं को दिव्य दस मूर्तियों के रूप में प्रस्तुत करके नये बनते हुए भारत के प्रति अपने स्वागत भाव का परिचय दिया है। पद्य - प्रमोद में देश और जाति के उत्थान से लेकर पौराणिक आख्यानों तक से सम्बन्धित कविताएँ हैं। उनकी प्रसिद्ध कविता कर्मवीर इसी संग्रह में है। पद्य - प्रमोद में मनोवृत्ति और हार्दिक अनुभूति के साथ प्रकृति के सुन्दर चित्र भी दिखाई पड़ते हैं। "
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | पराजित | 332 |
2 | पद्य- प्रमोद | 332 |