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Nagarjun Ka Rachana Sansar
Daisy on the Ohoopee
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Nagarjun Ka Rachana Sansar

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Author(s): ( Vijay Bahadur Singh )

Publisher: ( Vani Prakashan )

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  • Books Details

    Nagarjun Ka Rachana Sansar

    "एक ऐसे कविता-समय में जहाँ सब सिद्धान्तवादी सृजन में अनुशासित शिल्पियों की तरह जुटे हुए हों, नागार्जुन ने ऐसे अनुशासनों को अँगूठा हुए वे काव्य मर्यादाएँ रची हैं जिनसे ठस्स होती रचनाशीलता बेदखल हो सकी है। अपने चुनौतीपूर्ण सृजन से वे यह बता सके हैं कि कवि की आधार पहचान सिद्धान्तों का विनिवेशन नहीं, लोकानुभवों का सर्जनात्मक भाषानुवाद करना है । और लोकानुभव कभी भी प्रायोजित नहीं किए जा सकते। यह नागार्जुन जैसे कवियों को पढ़ते हुए ही जाना जा सकता है कि कविता सचेत दुनियादारी की कमाई नहीं है वह तो समय और गतिशील सृष्टि की आत्मा की सामूहिक पुकार है। नागार्जुन जैसे कवियों के आलोचकों को यह संस्कार तो विकसित करना ही चाहिए कि कविता का सौन्दर्य-दर्शन उस सैद्धान्तिक चीर-फाड़ में नहीं है जो उसकी सार-सत्ता को तरह-तरह से एक वैज्ञानिक की तरह बिखेर देता है। "

    ( Vijay Bahadur Singh )

    Category: General
    ISBN: V-1107
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 दो पत्र 13
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