किसी भी बीमारी, चोट या दुर्घटना के लिये चिकित्सक या एम्बुलेंस आने से पहले जो राहत कार्य या उपचार किया जाता है, उसे प्राथमिक उपचार कहते हैं। इस उपचार के दौरान उपयोग में आने वाले साधनों के संग्रह को थ्पतेज ।पक ज्ञपज कहते हैं। प्राथमिक उपचार के मुख्यतः तीन उद्देश्य होते है जीवन रक्षा, पीड़ित की स्थिति पर नियंत्रण व दवाई इत्यादि देना। प्राथमिक उपचार भारत की दृष्टि से देखें तो अत्यन्त महत्वपूर्ण है। भारत में हर 1700 लोगों पर सिर्फ एक डाॅक्टर है। जबकि अन्तराष्ट्रीय मानकों के हिसाब से यह 1ः1000 निर्धारित की गयी है। ग्रामीण इलाकों में स्थिति और भी भयावह है जहाँ पर डाॅक्टरों की नियुक्ति ही नहीं है या फिर जीवन के निम्न स्तर को देखते हुए डाॅक्टर वहाँ पर जाना नहीं चाहते। इसलिये शहरी व ग्रामीण इलाकों में प्राथमिक उपचार के ज्ञान की अत्यंत आवश्यकता है। अक्सर देखा जाता है कि फला आदमी सड़क दुर्घटना में मारा गया क्योंकि समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिला। अगर हर व्यक्ति को समय से प्राथमिक उपचार मिले तो काफी लोगों का जीवन बचाया जा सकता है। परन्तु फिर प्रश्न उठता है कि आखिर किस तरह की दुर्घटना में क्या करना चाहिये? इस पुस्तक में हमने उन्ही प्राथमिक उपचारों का जिक्र किया जोकि हमारे दैनिक जीवन में अक्सर उपयोगी साबित होंगे। हर बीमारी में किस तरह के लक्ष्ण व क्या उपचार तुरंत मिलना चाहिये यह इस पुस्तक में छोटे परन्तु सटीक शब्दों में समझाया गया है। इस पुस्तक में दिये गये उपचारों को याद रखें व पुस्तक को संभाल कर रखें ताकि कभी आपको इसकी जरूरत पड़े तो आप तुरंत किसी भी पीड़ित की सहायता कर सकें।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | प्राथमिक सहायता के सि(ान्त | 3 |
2 | आपातकालीन प्रबन्ध् | 16 |
3 | घाव | 5 |
4 | उष्मा के प्रभाव | 1 |
5 | जलन | 3 |
6 | विविध् स्थितियां | 3 |
7 | आपदा में बचाव के प्रबन्ध् | 3 |