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गांध्ी जी को ‘‘महात्मा’’ के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैध .... Read More
गांध्ी जी को ‘‘महात्मा’’ के नाम से सबसे पहले 1915 में राजवैध् जीवराम कालिदास ने संबोध्ति किया। गांध्ी जी ने ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर लगाये गये नमक कर के विरोध् में 1930 में नमक सत्यग्रह भी किया। यूं तो महात्मा गांध्ी जी पर हजारों पुस्तकें, लेख व कहानियाँ लिखी जा चुकी है और उनके जैसे महान चरित्रा को एक पुस्तक में समेटना असंभव है। परन्तु पिफर भी हमने इस पुस्तक में गांध्ी जी के बारे में उन चीजों का प्रमुखता से उल्लेख किया है जिनका की बच्चों को ज्ञान होना आवश्यक है। इसी कड़ी को आगे जोड़ते हुए गांध्ी जी से जुड़ा एक प्रेरक प्रसंगः- रात बहुत काली थी और मोहन डरा हुआ था। वह हिम्मत करके कमरे से बाहर निकला, पर उसका दिल जोर-जोर से ध्ड़क रहा था। घर पर काम करने वाली रम्भा वहीं दरवाजे पर खड़ी देख मुस्करा रही थी। ‘‘क्या हुआ बैटा’’, उसने हँसते हुए पूंछा, ‘‘मुझे कुत्तों से डर लग रहा है’’ मोहन बोला रम्भा ने प्यार से बालक मोहन को समझाया’’ जो कोई भी अंध्ेरे से डरता है। उसे राम जी के बारे में सोचना चाहिये तो कोई भूत तुम्हारे निकट नहीं आयेगा। रामजी तुम्हारी रक्षा करेंगे। रम्भा के शब्दों ने बालक मोहन दास करम चंद गाँध्ी को बहुत हिम्मत दी। उनका विश्वास रामजी को लेकर मजबूत होता चला गया। इसी विश्वास ने गांध्ी जी को जीवन भर शक्ति दी और मरते वक्त भी उनके मुख से ‘हे राम’ ही निकला।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | जीवन परिचय | 2 |
2 | युवावस्था | 1 |
3 | परिवार | 0 |
4 | शिक्षा | 2 |
5 | दक्षिण अप्रफीका | 4 |
6 | राष्ट्रवादी भारत के नेता के रूप में उदय | 0 |
7 | भारत में सत्याग्रह | 3 |
8 | आजाद भारत | 1 |
9 | महात्मा गांध्ी और विश्व | 1 |
10 | अन्तिम चरण | 1 |
11 | गांध्ी स्मृति संग्रहालय | 2 |
12 | गांध्ी के सि(ांत | 2 |
13 | गांध्ी जी के कुछ प्रभावशाली कथन | 2 |