'प्रयोगात्मक भूगोल की रूपरेखा' का पूर्णतया संशोधित एवं परिवर्द्धित छठा संस्करण पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है, जो अपने आप में इस पुस्तक की लोकप्रियता का द्योतक है। नवीन संस्करण की विशेषता पर दो शब्द लिखने से पूर्व लेखक भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में अध्यापनरत उन सभी विद्वान भूगोलवेत्ताओं के प्रति अपना आभार प्रकट करता है, जिन्होंने पिछले पन्द्रह वर्षों से भी अधिक से मेरे प्रयास की सराहना की है तथा इस कृति को बी०ए०/ बी०एससी० भूगोल के छात्र-छात्राओं के लिये अति उपयोगी माना है। अपने बहुमूल्य सुझावों एवं रचनात्मक समालोचना के द्वारा मेरा मार्गदर्शन किया है। लेखक अपने प्रकाशक रस्तोगी बन्धुओं का भी हृदय से आभारी है, जिनके अनवरत व अक्षुण्ण सहयोग के बिना इस नवीन संस्करण को उसके वर्तमान स्वरूप में प्रकाशित करना असम्भव था।
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1 | 1. मानचित्रकला की परिभाषा, अध्ययन-क्षेत्र एवं विकास | 18 |
2 | 2. मानचित्रण की तकनीकें, सामग्री तथा उपकरण | 16 |
3 | 3. मानचित्र : एक परिचय | 16 |