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कला की सामर्थ्य के माध्यम से आत्मा को परमात्मा में लीन कर .... Read More
कला की सामर्थ्य के माध्यम से आत्मा को परमात्मा में लीन कर सकना संभव हो सकता है। वहीं कला मात्र जीवन का अनुकरण मात्र न होकर एक मौलिक सृजन है, पुनर्निर्माण की प्रक्रिया है, जिसमें सृष्टि एवं ईश्वर के अस्तित्व की आकर्षक उपस्थिति उनके पारलौकिक स्वरूप के माध्यम से उकेरी जाती रही है। जिसके हेतु प्राचीन काल से कलाकारों ने मूर्ति कला, चित्रकला तथा स्थापत्य कला का आश्रय लिया।
Sr | Chapter Name | No Of Page |
---|---|---|
1 | अध्याय 0. कला | 16 |
2 | अध्याय 1. यूरोपीय कला (कलकत्ता ग्रुप : निरोद मजूमदार, राथिन मिश्रा, प्राणकिशन पाल) | 15 |
3 | अध्याय 2. गोपाल घोष (1913-1980 ई.) | 15 |
4 | अध्याय 3. प्रगतिशील कलाकार दल | 25 |
5 | अध्याय 4. कृष्णजी हौवला जी आरा (Krishnaji Howlaji Ara 1914-1985 ई) | 7 |
6 | अध्याय 5. शिल्पी चक्र नई दिल्ली (Shilpi Chakra, New Delhi 1949 ई) | 22 |
7 | अध्याय 6. के.जी. सुब्रह्यण्यम् (कल्पथी गणपति सुब्रह्यण्यम्) (1924-2010 ई.) | 26 |
8 | अध्याय 7. समुदाय 1890 | 28 |
9 | अध्याय 8. चोलामण्डल : के.सी.एस. पन्निकर | 10 |
10 | प्रश्नावली | 10 |