राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मध्यप्रदेश के केन्द्रीय अध्ययन मण्डल द्वारा स्वीकृत बी. ए. द्वितीय वर्ष हेतु निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार अर्थशास्त्र का नवीन संस्करण प्रस्तुत करते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है।
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1 | प्रथम प्रश्न पत्र समष्टि अर्थशास्त्र, 1. समष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा (परिभाषा, विषय-वस्तु, महत्व एवं सीमाएँ, समष्टि और व्यष्टि अर्थशास्त्र में अंतसंबंध, समष्टि आर्थिक चर-स्टॉक एवं प्रवाह) | 7 |
2 | 2. आय का चक्रीय प्रवाह | 7 |
3 | 3. राष्ट्रीय आय की परिभाषा, अवधारणाएँ एवं इसके मापने की विधियों | 33 |
4 | 4. राष्ट्रीय आय का सामाजिक लेखांकन व राष्ट्रीय आय एवं आर्थिक कल्याण | 8 |
5 | 5. आय, ऋण और दान की प्राचीन भारतीय अवधारणा | 13 |
6 | 6. रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त व मजदूरी कीमत नम्यता | 8 |
7 | 7. कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (समग्र माँग फलन, समग्र पूर्ति फलन, प्रभावपूर्ण मांग व विकासशील देशों में कीन्स के रोजगार सिद्धांत की व्यावहारिकता) | 13 |
8 | 8. उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम (उपभोग फलन, सीमांत उपयोग प्रवृत्ति, औसत उपभोग प्रवृत्ति, सीमांत बचत प्रवृत्ति, औसत बचत प्रवृत्ति) | 11 |
9 | 9. गुणक सिद्धांत | 10 |
10 | 10. त्वरक का सिद्धान्त | 8 |
11 | 11. विनियोग: अर्थ, प्रकार एवं प्रेरणा | 4 |
12 | 12. पूंजी की सीमांत क्षमता व कीन्स का तरलता पसंदगी सिद्धान्त | 15 |
13 | 13. विनियोग की सीमांत क्षमता | 6 |
14 | 14. वास्तविक क्षेत्र में साम्य (आई.एस. वक्र) व मौद्रिक क्षेत्र में साम्य (एल.एम. वक्र) का निर्धारण (आई. एस. एल. एम. मॉडल) | 7 |
15 | 15. मौद्रिक नीति- अर्थ, उपकरण एवं प्रभावशीलता. | 8 |
16 | 16. राजकोषीय नीति : अर्थ, उपकरण एवं प्रभावशीलता | 12 |
17 | 17. मुद्रास्फीति एवं अवस्फीति (मुद्रास्फीति, अवस्फीति एवं स्फीतिजनित मंदी का अर्थ, मुद्रास्फीति के प्रकार एवं प्रभाव, मुद्रास्फीति के सिद्धांत-मांग प्रेरित व लागत प्रेरित स्फीति, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय, अवस्फीति के प्रभाव एवं नियंत्रण करने | 26 |
18 | 18. फिलिप्स वक्र | 5 |
19 | 19. भारत में मुद्रास्फीति का मापन (थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जीडीपी डिफ्लेक्टर) | 5 |
20 | 20. व्यापार चक्र का अर्थ व अवस्थायें | 5 |
21 | 21. हॉट्रे का व्यापार चक्र का मौद्रिक सिद्धांत | 4 |
22 | 22. शुम्पीटर का नवप्रवर्तन सिद्धांत | 4 |
23 | 23. कीन्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त | 4 |
24 | 24. काल्डोर का व्यापार चक्र सिद्धान्त | 7 |
25 | 25. सैम्युलसन का व्यापार चक्र सिद्धान्त | 4 |
26 | 26. हिक्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त | 5 |
27 | 27. व्यापार चक्र को नियंत्रित करने के उपाय | 3 |
28 | द्वितीय प्रश्न पत्र मुद्रा बैंकिंग एवं लोकवित्त, 1. मुद्रा परिभाषा, कार्य, वर्गीकरण एवं महत्व. | 27 |
29 | 2. मुद्रा का मूल्य एवं मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त (नकद लेनदेन दृष्टिकोण, नकद शेष दृष्टिकोण, कीन्स का दृष्टिकोण एवं मिल्टन फ्रीडमैन का परिमाण सिद्धान्त) | 28 |
30 | 3. मुद्रा की पूर्ति (अर्थ, उच्च शक्ति मुद्रा, मुद्रा पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व, मुद्रा गुणक की अवधारणा, मुद्रा पूर्ति के मुख्य घटक, प्लास्टिक मुद्रा) | 10 |
31 | 4. बैंक: परिभाषा एवं प्रकार | 9 |
32 | 5. व्यवसायिक बैंक के कार्य एवं साख निर्माण की प्रक्रिया | 15 |
33 | 6. केन्द्रीय बैंक का अर्थ, महत्व, कार्य एवं साख नियंत्रण विधियाँ | 16 |
34 | 7. इंटरनेट बैंकिंग एवं खुदरा बैंकिंग का परिचय | 5 |
35 | 8. लोकवित्त : अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं भूमिका व लोकवित्त एवं निजी वित्त में अंतर तथा सार्वजनिक वस्तुएँ, निजी वस्तुएँ एवं उत्कृष्ट वस्तुओं की अवधारणा. | 20 |
36 | 9. बाजार की असफलता एवं राज्य की भूमिका | 5 |
37 | 10. अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त | 9 |
38 | 11. सार्वजनिक व्यय अर्थ, महत्व व सिद्धान्त तथा वैगनर की परिकल्पना, पीकॉक एवं वाइजमैन की अवधारणा, बढ़ते सार्वजनिक व्यय के कारण एवं प्रभाव | 18 |
39 | 12. भारत में सार्वजनिक व्यय | 8 |
40 | 13. मूल्य व कर (महाभारत के शांतिपर्व के संदर्भ से) | 3 |
41 | 14. कौटिल्य के अनुसार सार्वजनिक वस्तुओं और करों की अवधारणा | 5 |
42 | 15. सार्वजनिक आय के स्रोत | 8 |
43 | 16. कराधान - अर्थ, सिद्धांत, वर्गीकरण व प्रभाव तथा वस्तु एवं सेवा कर का सामान्य परिचय | 24 |
44 | 17. करापात, कराघात एवं विवर्तन | 10 |
45 | 18. भारत में करदान क्षमता. | 7 |
46 | 19. भारतीय कर ढाँचे की विशेषताएँ | 6 |
47 | 20. सार्वजनिक ऋण अर्थ, प्रकार, स्रोत एवं प्रभाव | 6 |
48 | 21. सार्वजनिक ऋण शोधन की विधियाँ | 7 |
49 | 22. भारत में सार्वजनिक ऋण एवं घाटे की वित्त व्यवस्था | 7 |