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अर्थशास्त्र द्वितीय वर्ष
Daisy on the Ohoopee
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अर्थशास्त्र द्वितीय वर्ष

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Author(s): ( .... )

Publisher: ( Ram Prasad & Sons, Bhopal )

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    अर्थशास्त्र द्वितीय वर्ष

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति, मध्यप्रदेश के केन्द्रीय अध्ययन मण्डल द्वारा स्वीकृत बी. ए. द्वितीय वर्ष हेतु निर्धारित पाठ्यक्रमानुसार अर्थशास्त्र का नवीन संस्करण प्रस्तुत करते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है।

    ( जीवनलाल भारद्वाज, मनीष शर्मा )

    Category: Higher Education
    ISBN: R-941
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 प्रथम प्रश्न पत्र समष्टि अर्थशास्त्र, 1. समष्टि अर्थशास्त्र की अवधारणा (परिभाषा, विषय-वस्तु, महत्व एवं सीमाएँ, समष्टि और व्यष्टि अर्थशास्त्र में अंतसंबंध, समष्टि आर्थिक चर-स्टॉक एवं प्रवाह) 7
    2 2. आय का चक्रीय प्रवाह 7
    3 3. राष्ट्रीय आय की परिभाषा, अवधारणाएँ एवं इसके मापने की विधियों 33
    4 4. राष्ट्रीय आय का सामाजिक लेखांकन व राष्ट्रीय आय एवं आर्थिक कल्याण 8
    5 5. आय, ऋण और दान की प्राचीन भारतीय अवधारणा 13
    6 6. रोजगार का प्रतिष्ठित सिद्धान्त व मजदूरी कीमत नम्यता 8
    7 7. कीन्स का रोजगार सिद्धान्त (समग्र माँग फलन, समग्र पूर्ति फलन, प्रभावपूर्ण मांग व विकासशील देशों में कीन्स के रोजगार सिद्धांत की व्यावहारिकता) 13
    8 8. उपभोग का मनोवैज्ञानिक नियम (उपभोग फलन, सीमांत उपयोग प्रवृत्ति, औसत उपभोग प्रवृत्ति, सीमांत बचत प्रवृत्ति, औसत बचत प्रवृत्ति) 11
    9 9. गुणक सिद्धांत 10
    10 10. त्वरक का सिद्धान्त 8
    11 11. विनियोग: अर्थ, प्रकार एवं प्रेरणा 4
    12 12. पूंजी की सीमांत क्षमता व कीन्स का तरलता पसंदगी सिद्धान्त 15
    13 13. विनियोग की सीमांत क्षमता 6
    14 14. वास्तविक क्षेत्र में साम्य (आई.एस. वक्र) व मौद्रिक क्षेत्र में साम्य (एल.एम. वक्र) का निर्धारण (आई. एस. एल. एम. मॉडल) 7
    15 15. मौद्रिक नीति- अर्थ, उपकरण एवं प्रभावशीलता. 8
    16 16. राजकोषीय नीति : अर्थ, उपकरण एवं प्रभावशीलता 12
    17 17. मुद्रास्फीति एवं अवस्फीति (मुद्रास्फीति, अवस्फीति एवं स्फीतिजनित मंदी का अर्थ, मुद्रास्फीति के प्रकार एवं प्रभाव, मुद्रास्फीति के सिद्धांत-मांग प्रेरित व लागत प्रेरित स्फीति, मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के उपाय, अवस्फीति के प्रभाव एवं नियंत्रण करने 26
    18 18. फिलिप्स वक्र 5
    19 19. भारत में मुद्रास्फीति का मापन (थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, जीडीपी डिफ्लेक्टर) 5
    20 20. व्यापार चक्र का अर्थ व अवस्थायें 5
    21 21. हॉट्रे का व्यापार चक्र का मौद्रिक सिद्धांत 4
    22 22. शुम्पीटर का नवप्रवर्तन सिद्धांत 4
    23 23. कीन्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त 4
    24 24. काल्डोर का व्यापार चक्र सिद्धान्त 7
    25 25. सैम्युलसन का व्यापार चक्र सिद्धान्त 4
    26 26. हिक्स का व्यापार चक्र सिद्धान्त 5
    27 27. व्यापार चक्र को नियंत्रित करने के उपाय 3
    28 द्वितीय प्रश्न पत्र मुद्रा बैंकिंग एवं लोकवित्त, 1. मुद्रा परिभाषा, कार्य, वर्गीकरण एवं महत्व. 27
    29 2. मुद्रा का मूल्य एवं मुद्रा का परिमाण सिद्धान्त (नकद लेनदेन दृष्टिकोण, नकद शेष दृष्टिकोण, कीन्स का दृष्टिकोण एवं मिल्टन फ्रीडमैन का परिमाण सिद्धान्त) 28
    30 3. मुद्रा की पूर्ति (अर्थ, उच्च शक्ति मुद्रा, मुद्रा पूर्ति को प्रभावित करने वाले तत्व, मुद्रा गुणक की अवधारणा, मुद्रा पूर्ति के मुख्य घटक, प्लास्टिक मुद्रा) 10
    31 4. बैंक: परिभाषा एवं प्रकार 9
    32 5. व्यवसायिक बैंक के कार्य एवं साख निर्माण की प्रक्रिया 15
    33 6. केन्द्रीय बैंक का अर्थ, महत्व, कार्य एवं साख नियंत्रण विधियाँ 16
    34 7. इंटरनेट बैंकिंग एवं खुदरा बैंकिंग का परिचय 5
    35 8. लोकवित्त : अर्थ, प्रकृति, क्षेत्र एवं भूमिका व लोकवित्त एवं निजी वित्त में अंतर तथा सार्वजनिक वस्तुएँ, निजी वस्तुएँ एवं उत्कृष्ट वस्तुओं की अवधारणा. 20
    36 9. बाजार की असफलता एवं राज्य की भूमिका 5
    37 10. अधिकतम सामाजिक लाभ का सिद्धान्त 9
    38 11. सार्वजनिक व्यय अर्थ, महत्व व सिद्धान्त तथा वैगनर की परिकल्पना, पीकॉक एवं वाइजमैन की अवधारणा, बढ़ते सार्वजनिक व्यय के कारण एवं प्रभाव 18
    39 12. भारत में सार्वजनिक व्यय 8
    40 13. मूल्य व कर (महाभारत के शांतिपर्व के संदर्भ से) 3
    41 14. कौटिल्य के अनुसार सार्वजनिक वस्तुओं और करों की अवधारणा 5
    42 15. सार्वजनिक आय के स्रोत 8
    43 16. कराधान - अर्थ, सिद्धांत, वर्गीकरण व प्रभाव तथा वस्तु एवं सेवा कर का सामान्य परिचय 24
    44 17. करापात, कराघात एवं विवर्तन 10
    45 18. भारत में करदान क्षमता. 7
    46 19. भारतीय कर ढाँचे की विशेषताएँ 6
    47 20. सार्वजनिक ऋण अर्थ, प्रकार, स्रोत एवं प्रभाव 6
    48 21. सार्वजनिक ऋण शोधन की विधियाँ 7
    49 22. भारत में सार्वजनिक ऋण एवं घाटे की वित्त व्यवस्था 7
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