किसी ने ठीक ही कहा है प्रकृति ही जीवन है। प्राकृतिक संसाध्न सृष्टि वेफ विभिन्न घटकों वेफ प्राकृतिक समस्थिति संतुलन वेफ लिए अत्यंत आवश्यक है। इसवेफ कारण पारिस्थितिकी संतुलन व पर्यावरण की शु(ता बनी रहती है, और जीवन का चक्र अबाध्ति चलता रहता है। प्राकृतिक संसाध्नों को 3 प्रमुऽ वर्गों में समझा जा सकता हैः- 1. जैविक संसाध्न- समस्त जीव सृष्टि ;वनस्पति ,पशु -पक्षी, जानवर, जंगल, कृषि, जैव विविध्ताद्ध तथा जीवों वेफ बीच का पारस्परिक संबंध् तथा उपकरण प्राप्त होने वाले लाभ। 2. अजैव संसाध्न- ;मृदा ऽनिज व उनसे मिलने वाले उपादान द्ध 3. मौलिक व जलवायु संसाध्न- ;पारम्परिक व नवकरणीय ऊर्जा, भौतिक गतिज और गुरुत्वाकर्षण बल और उससे प्रभावित होने वाले जलवायु घटकद्ध और प्रक्रियाएँ।
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1 | बिगड़ता स्वास्थ्य और इसवेफ खतरे - डॉ. जयश्री सिक्का | 7 |
2 | स्वयं सजे वसुंध्रा संवार दें - वुफलदीप नागेश्वर पंवार | 4 |
3 | अपरिवर्तनीय परिवर्तन जलवायु परिवर्तन - भूपेन्द्र वुफमार सुल्लेरे | 13 |
4 | नर्मदा नदी... घुल रहा ध्ीमा जहर - डॉ. मनीष काले | 13 |