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ग्रीन बेबी (वैज्ञानिक उपन्यास)
Daisy on the Ohoopee
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ग्रीन बेबी (वैज्ञानिक उपन्यास)

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Author(s): ( विजय चितौरी )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

‘‘जूली रुको...........कहाँ उड़ी जा रही हो। जरा नीचे तो देखो। तुम् .... Read More

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    ग्रीन बेबी (वैज्ञानिक उपन्यास)

    ‘‘जूली रुको...........कहाँ उड़ी जा रही हो। जरा नीचे तो देखो। तुम्हारी झील आ गयी है।’’ ‘‘अरे हाँ राबर्ट ! तुमने ठीक याद दिलाया। हमें तो यहीं आना था।’’ ‘अपने उड़न खटोला को जरा आहिस्ते से उतारना ......।’ ‘उड़न खटोला’ शब्द पर जूली को हंसी आ गयी। उसने मल्पर टैक्सी की रफ्तार धीमी की। झील का हवाई सर्वेक्षण किया। झील के किनारे कोई खाली समतल जगह नहीं दिखी, जहाँ वह अपनी टैक्सी उतारती। हाँ, होटल सोनघाटी के एअर टैक्सी स्टैण्ड पर जगह जरूर थी लेकिन जूली वहाँ उतरना नहीं चाहती थी। उसने राबर्ट से पूछा, ‘‘राबर्ट, मल्पर को कहाँ उतारूँ। एकान्त में कोई खाली, समतल जगह नहीं है। हर जगह घने पेड़ हैं।’ ‘‘उड़न खटोला को जल में उतारो न। जल विहार भी तो करना है।’’ राबर्ट ने कहा। ‘उड़न खटोला’ शब्द पर जूली फिर मुस्कराई, उसने मल्पर टैक्सी को जल पर उतारने का प्रयास शुरू कर दिया। इसके लिए उसने आकाश में ही टैक्सी के आकार में परिर्वतन किया। अब इसका निचला आकार नाव जैसा हो गया। उसने आहिस्ते से टैक्सी को पानी में उतार दिया। 1 ग्रीन बेबी 2 जूली हंसकर बोली, ‘‘लो डियर ! तुम्हारा उड़न खटोला तो उतर गया।’’ ‘‘मेरा ही क्यों, यह तुम्हारा उड़न खटोला नहीं है?’’ यह मेरा ‘उड़न खटोला’ नहीं, ‘मल्पर’ है। मैं तुम्हारी तरह शब्दों का घालमेल नहीं करती। ‘क्या घालमेल किया मैने ...... ?’ ‘तुम हिन्दी के शब्दों को समझते हो नहीं। कहीं किसी कहानी में परियों के उड़न खटोले की बात सुन ली तो बस वही दुहराये जा रहे हो। तुम्हारे ‘उड़न खटोला’ शब्द पर मुझे इसी लिए हंसी आती है। खैर छोड़ो, राबर्ट दरअसल यह वाहन ‘मल्टी परपज टैक्सी’ कहलाता है। संक्षेप में इसे मल्पर कहा जाता है। मल्टी परपज का अर्थ हुआ कि यह टैक्सी हवा में उड़ सकती है, जल में नाव की तरह तैर सकती है और सड़कों पर कार की तरह फर्राटा भर सकती है। अच्छा हाँ राबर्ट, तुम्हारी मोटी अक्ल में यदि मेरी यह बारीक बात समझ में आयी हो तो लो अब यह मल्पर संभालो। आहिस्ते-आहिस्ते तैराओ। पानी गहरा है, इसमें मगरमच्छ जैसे जल जीव भी हो सकते हैं। अब मैं आज जी भर के इस झील और इसके इर्द-गिर्द की खूबसूरती देखूंगी। पता नहीं फिर कब यह सुनहरा मौका मिलेगा।’ ‘‘वाकई डार्लिंग, क्या खूबसूरती है। तुम्हारा इण्डिया तो अद्भुत है। यहाँ के जंगल, पहाड़, पशु-पक्षी, लोग .........। इच्छा होती है महीनों यहाँ घूमता ही रहूँ .........।’’ जूली के चेहरे पर फीकी मुस्कान उभरी। बोली, ‘‘राबर्ट, सारा इंडिया ऐसा ही थोड़े न है जैसा तुम देख रहे हो। यह तो ‘ट्राइबल्स रिज़र्व क्षेत्र’ है। ठीक वैसे ही जैसे बीसवीं सदी में ‘फारेस्ट रिजर्व’ हुआ करते थे। फारेस्ट रिजर्व में जिस तरह वन्य जीवों को बचाने के लिए उन्हें प्राकृतिक आवास व सुविधाएँ दी जाती थीं, उसी तरह इन ट्राइबल्स रिज़र्व में तमाम सुविधाएँ दी गईं हैं। इसलिए उनका अस्तित्व और उनका परिवेश कायम है। ‘क्या इंडिया में इतनी खूबसूरत जगहें और नहीं है?’

    ( विजय चितौरी )

    Category: Higher Education,General
    ISBN: APB-657
    Sr Chapter Name No Of Page
    1 उडऩ खटोला 6
    2 ग्रीन बेबी 6
    3 रोबो जेना 10
    4 स्मृति स्थानान्तरण 10
    5 दीर्घ निद्रा 6
    6 उडऩ तस्तरी 7
    7 टेकायन यान 7
    8 स्पेस मैन 10
    9 इच्छा मृत्यु 9
    10 आपरेशन रेड स्टार 9
    11 मिशन मंगल 8
    12 स्वर्ग की सीढ़ी 8
    13 लेसर मिसाइल 8
    14 चन्द्र बस्ती 10
    15 पंचशील 10
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