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गुरुदेव जी नागपुर विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद अपने पहले स .... Read More
गुरुदेव जी नागपुर विश्वविद्यालय छोड़ने के बाद अपने पहले सुपुर्द कार्य के बारे में बता रहे थे। यह विवरण जून 1972 में नया नांगल उर्वरक कम्प्लैक्स में स्थित भारी पानी संयंत्र के बारे में था। लिंडे ए. जी. जर्मनी ने एसे संयंत्र 1962 में कैनाडा की विट्रियम इंजीनियरिंग कार्पोरेशन के सहयोग से लगाया था। भाकड़ा नांगल जल विद्युत संयंत्र से विद्युत प्रत्यावर्ती धारा के रूप में प्राप्त होती थी जिसे विशाल दिष्टकादियों में दिष्ट धारा में परिणत किया जाता था। इस विद्युत स्रोत का प्रयोग करके, विद्युत् अपघटनी सेल समूह में जल का उसके घटकों ऑक्सीजन और हाहड्रोजन में विद्युत् अपघटक किया जाता था। ऑक्सीजन को कई पाइपों से गुजारने के बाद एकत्र किया जाता था और इसका प्रयोग नाइट्रिक अम्ल के उत्पादन में किया जाता था। हाइड्रोजन को भी उसी प्रकार एकत्र करके भारी जल संयत्रं में भेजा जाता था जिसका प्रचालन, परमाणु ऊर्जा विभाग के इंजीनियर करते थे। हाइड्रोजन में उपस्थित ड्यूटीरियम को निम्नतापी स्तंभों में आंशिक आसवन द्वारा पृथक किया जाता था। अधिकांश वाल्वों और संधियों में जहां ग्लास वूल द्वारा रोधन संभव नहीं था वहाँ वायुमंडल की नमी से बर्फ की मोटी
Sr | Chapter Name | No Of Page |
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1 | मार्च 2011 | 11 |
2 | अप्रैल 2011 | 11 |
3 | मई 2011 | 13 |
4 | जून 2011 | 17 |
5 | जुलाई 2011 | 21 |
6 | अगस्त 2011 | 19 |
7 | सितम्बर 2011 | 20 |
8 | अक्टूबर 2011 | 12 |
9 | नवम्बर 2011 | 12 |