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बड़े भाईसाहब

बड़े भाईसाहब

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Author(s): ( प्रेमचंद )

Publisher: ( AISECT Publication, Bhopal )

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  • Books Details

    बड़े भाईसाहब

    मेरे भाई साहब मुझसे पाँच साल बड़े थे, लेकिन केवल तीन दरजे आगे। उन्होंने भी उसी उम्र में पढ़ना शुरू किया था, जब मैंने शुरू किया था, लेकिन तालीम जैसे महत्व के मामले में वह जल्दीबाजी से काम लेना पसंद न करते थे। इस भवन की बुनियाद ख़ूब मजबूत डालना चाहते थे, जिस पर आलीशान महल बन सके। एक साल का काम दो साल में करते थे। कभी-कभी तीन साल भी लग जाते थे। बुनियाद ही पुख़्ता न हो तो मकान कैसे पायेदार बन

    ( प्रेमचंद )

    Category: Story Book
    ISBN: APB-701
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